मंगलवार, 2 अगस्त 2022

गोंड समुदाय में विवाह

अपनी प्राचीन संस्कृति और सभ्यता को बनाकर रखा वह प्रकृति से जुड़ा प्राप्ति के परिपूर्ण भारत में आदिवासियों विवाह कैसे होते हैं

हम बात कर रहे हैं  गोंड समुदाय की
 गोंड समुदाय  जनजाति या गोंड आदिवासी लोग भारतीय राज्यों मध्य प्रदेश, पूर्वी महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, बिहार और ओडिशा में फैले हुए हैं। वे द्रविड़ियन बोलते हैं और उन्हें अनुसूचित जनजाति श्रेणी में सूचीबद्ध किया गया है। गोंड शब्द को तेन्दु शब्द कोंडा से लिया गया है, जिसका अर्थ है पहाड़ी। पहाड़ के समान  मजबूत  रहने वाले


विवाह क्या होता है
विवाह, जिसे शादी भी कहा जाता है, दो लोगों के बीच एक सामाजिक या धार्मिक मान्यता प्राप्त मिलन है जो उन लोगों के बीच, साथ ही उनके और किसी भी परिणामी जैविक या दत्तक बच्चों तथा समधियों के बीच अधिकारों और दायित्वों को स्थापित करता है

मध्य भारत के आदिवासी समुदाय में विवाह गोंड समुदाय 
यह  मध्य प्रदेश के सभी जिलों में फैली हुई है लेकिन नर्मदा के दोनों और विंध्य और सतपुड़ा के पहाड़ी क्षेत्रों में इसका अधिक घनत्व है राज्य के बैतूल, छिंदवाड़ा, होशंगाबाद बालाघाट, मंडला,शहडोल जिलों में गोंड समुदाय  है

निवास स्थान लगभग मध्य प्रदेश के संपूर्ण जिलों में मध्य प्रदेश की चर्चा में
जनसंख्या के हिसाब से मध्य प्रदेश में 21% हिस्सेदारी रखते हैं
आमतौर जिनका मध्यपदेश के क्षेत्र में सम्पूर्ण मध्यप्रदेश कहीं ना कहीं राज हुआ करता था   राजगोंड  कहा जाता है
और इन्हीं के क्षेत्र में इन्हीं के लोग जो प्रजा के रूप में निवास करते थे खेतीबाड़ी करते थे उन्हें धुरगोंड कहा जाता है
समानता अब दोनों में शादी विभाग के संबंध होने लगे हैं

 मध्यप्रदेश के जिलों में गोंड समुदाय के विवाह कई प्रकार पद्धति या रस्मो से होते हैं

कई प्रकार के विवाह प्रचलित थे प्राचीन समय में  समुदाय में जो आज भी कहीं कहीं इन्हीं पद्धतियां  से विवाह संपन्न होते हैं
जैसे  1 चढ विवाह
     2 दूध लौटावा विवाह
     3पठौनी विवाह
     4भगोली विवाह 
     5लमसेना विवाह
     6पलायन विवाह 
     7हल्दी विवाह 
     8गुरावट विवाह 
     9सेवा विवाह
     10अपहरण विवाह 
      11 गार्धव विवाह
      12हठ विवाह
       
  चढ विवाह 
        दुल्हा दुल्हन छायाचित्र
गोंड समुदाय  भारत की बड़ी जनजाति आदिवासी समुदाय  मजबूत गोत्र व्यवस्था सम और विषम गोत्र में बंधी होती है दो भाग में दो परिवारों के बीच शादी होती है रस्मों और गीतों की व्यवस्था इस शादी में आदमी यहां पर खजूर के पेड़ की डाली और खजूर के फल टागें हुआ कमर में घूमता है यह दोनों परिवार के संपर्क में होता है मलेहा कहा जाता है यह बरात आने के 2 से 3 दिन पहले लड़का वालों के यहां से आ जाता है लड़की के घर 
गोंड आदिवासी समुदाय व्यवस्था में सहयोग और लोकतांत्रिक मूल्य बहुत गहरे हैं मसलन जिसके घर शादी होती है उससे कहीं ज्यादा समाज की जिम्मेदारी गांव के लोगों के बीच काम का बंटवारा हो जाता है लोग अपना अपना काम जिम्मेदारी से करते हैं जैसे कुछ लोगों का काम पानी लाना होता है और कुछ लोगों का काम खाना बनाना होता है शादी में सीधे शादी तरीके से होती है शादी के दिन कुछ खास हो ऐसा जरूरी नहीं है खाने में दाल चावल रांगी बनाए जाते हैं रोजमर्रा के कपड़े में ही अधिकतर लोग नजर आते हैं दिखावा और आडंबर कुछ भी नहीं है इसके बाद भी यह अपनी शादी में बहुत मौज मस्ती करते हैं
गोंड आदिवासी समुदाय में ना तो ज्यादा दिखावा और ना ही फिजूल खर्चा होता है आपसी सहयोग और भाईचारे से ही शादी विवाह संपन्न किए जाते हैं।
पर्यावरण को एक नए पैसे का नुकसान नहीं और आदिवासियों की सामाजिक और धार्मिक अवधारणा है प्रकृति के साथ मजबूती से जुड़ी होती है 
अलग-अलग अवसर पर अलग-अलग पूजा होती हैं मसलन जैसे जंगल देव गांव का देव पहाड़ देव और दूल्हा देव किस धार्मिक जिम्मेदारी संभालने वाले व्यक्ति को गामता कहां जाता है यही  मंडप तैयार करता है
सरसा छुलाई की रस्म होती है करसाना हिलाना महिला एवं पुरुष करते हैं इसमें एक मटके के घड़े में धान भरी जाती है और एक मटकी की घड़ी में खलाते हुए पूर्वजों के यहां से जहां पर इनका देव बैठा होता है वहां से लाते हैं दूल्हा और दुल्हन दोनों इसमें दान देते हैं और जो दुल्हन या दूल्हे की बहन होती है से पूछती है कि हम को क्या दोगे गीतक रूप में के रूप में सभी गांव वालों को लड़का लड़की के परिवार वालों को खाना कराया जाता है और दूसरे दिन लड़का लड़की मंडप में हरे मंडप में गामता   इनकी शादी पड़ता है और उसके बाद शादी और विदाई फिर लडके के यहां चकलामाझी और वह अपने गांव को यानी भोजन करवाता है।
कुछ महत्वपूर्ण शब्दावली
शादी -मठामिग
दूल्हा -नवडा
दुल्हन -नवडी
चकलामाजी -लड़के के घर पर होता है एक प्रकार की रस्म
विदाई -सार नियारा हतो ना
 
     विवाह के बाद दुल्हा दुल्हन नाचते हुये छायाचित्र 
2 दूध लौटावा  विवाह
जैसा कि हम पहले ही बता चुके हैं गोंड समुदाय में गोत्रावली बहुत मजबूत होती है मामा और बुआ के बच्चों के बीच शादी संबंध हो ना उसी का एक परिणाम है और इसी प्रकार से इस शादी विवाह जो कि दोनों परिवार की रजामंदी से होता है इसे दूध लौटा विवाह कहते हैं

3 सेवा विवाह 
लड़की के घर पर रहकर लड़की के परिवार वालों को खुश करता है उनके यहां काम काज हर काम में काम बटाता है। तब जाकर वह कहीं खुश होकर अपनी लड़की लड़का विवाह कर दे देते है 

4 लमसना विवाह
लड़की के यहां रहने लगता है शादी के बाद लड़का।  खेती-बाड़ी करने लगता है वहीं पर रह कर अपना जीवन यापन करता है शादी करने के बाद  ससुराल में 

5पलायन या भगोली विवाह 
लड़का लड़की भाग कर शादी कर लेते हैं फिर लड़के  के परिवार को लड़की के परिवार को दंड स्वरूप कुछ ना कुछ देना होता है इस जरुरी नही कोई कीमती चीज ही हो। शर्त अनुसार या इनकी पचायंत के अनुसार जब मान कर दोनों परिवार में शादी होती है  इस विवाह को भगोली विवाह भी कहते है 

 5पठौनी विवाह
इसमें लड़की बरात लेकर लड़के के यहां जाती है।

इसी प्रकार से सभी,विवाह पद्धतियों की अलग-अलग मान्यता है और खासकर अब इन आधुनिकता के दौर में कुछ ही पद्धतियां सीमित रह गई हैं। हालांकि जैसे-जैसे शिक्षित होते जा रहे हैं या अपनी विवाह के मूलभूत सांचा तो सजायें हुये मगर इनके विवाह ने आधुनिकता ने भी प्रवेश किया है खान पान और अन्य स्थानों 
हालांकि अपने अस्तित्व में बना हुआ है आदिवासी समाज
विवाह पद्धति आदिवासी समुदाय में। हल्दी चावल का बड़ा महत्व होता है।

मध्यप्रदेश के आदिवासी समुदाय के लोगों से 
 पुस्तक   कोया पुनेम गोंडियन गाथा


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