गुरुवार, 11 अगस्त 2022

बहुत बड़ा त्यौहार है। आदिवासियों का विश्व आदिवासी दिवस।

पूरी दुनिया में विश्व आदिवासी दिवस 9 अगस्त के दिन मनाया जाता है जो इस वर्ष भी बड़े धूमधाम से मनाया गया हम बात कर रहे हैं। खासकर भारत देश की और विदेशों की भी कुछ तस्वीरें आपको दिखाई जाएंगी वहीं मध्यप्रदेश में विशेष संदर्भ



   विश्व आदिवासी दिवस अपना परम्परा से बनाते हुये 
आदिवासी समुदाय की महिलाये ।


भारत देश में 9 अगस्त के दिन मनाया गया विश्व आदिवासी दिवस हम आपको बताने विश्व आदिवासी दिवस संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1993 में घोषित किया था। इस वर्ष को 9 अगस्त से आदिवासी विश्व आदिवासी संपूर्ण दुनिया में आदिवासी लोग मना रहे हैं।


 गैर आदिवासी समुदाय की परंपरागत प्रकृति से जुड़े लोग भी इस दिवस को मनाते हैं ।


आखिर क्या था जो इनको विश्व आदिवासी दिवस के रूप में घोषणा करनी पड़ी वैसे भी हम जानते हैं। आदिवासी जो प्रकृति से प्रकृति के वाशिंदे हैं प्राकृती पुत्र हैं बहुत सी ऐसी खोजबीन बहुत से ऐसे तक तथ्य सामने है  आदिवासी प्रकृति का बहुत अच्छे से रक्षण कर सकते हैं ऐसी ऐसी  जगह दुनिया में है जहां जीवन संभव नहीं लेकिन कई ऐसे आदिवासी समुदाय हैं जो वहां पर आज भी जी रहे हैं और उन टापू पर आज के आधुनिक जैसे कि मोबाइल इंटरनेट खान पीन की कई ऐसी चीजें संसाधन यातायात के संसाधन उपलब्ध ना होने के कारण भी यह आदिवासी लोग आज भी अपने परंपरागत वेशभूषा में जंगल में निवास कर रहे हैं और इसी सबको और इन्हीं सब को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ ने एक कमेटी गठित की 1987 से अपना काम कर रही थी इसके पहले से भी कर रही थी लेकिन 1987 में खास कमेटी बनी जो 5 साल में उसने अपनी रिपोर्ट दी और फिर जाकर 1993   1994 को विश्व आदिवासी दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गई आदिवासियों के प्रकृति के लगाओ और प्रकृति के उनकी सही रखने के तौर तरीके और देश में भारत देश हो या विदेशों और भी दुनिया जगत हो देखते हुए उनके बलिदानों को देखते हुए उनके समर्पण को देखते हुए प्रति उनके लगाव को देखते हुए संसार  में उनके प्रेम को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ ने आदिवासी दिवस के रूप में घोषणा की जिसे पूरी दुनिया में विश्व आदिवासी का नाम दिया गया मेरे  हिसाब से दुनिया का एक ऐसा । जिसे संयुक्त राष्ट्र संघ ने एकमात्र दिवस है जिसे घोषणा की है आदिवासियों के लिए निश्चित ही बहुत काबिले तारीफ है। 
 दुनिया में करीब 37 करोड़ आदिवासी लोग निवास करते हैं वही भारत में 2011 की जनगणना के अनुसार 10 करोड़ आदिवासी और 705 जनजाति समुदाय निवास करते हैं निश्चित ही यह आंकड़े किसी समुदाय के किसी खास समुदाय के बहुत ज्यादा हैं।
मध्यप्रदेश में विश्व आदिवासी दिवस

 आदिवासियों के विश्व आदिवासी दिवस 

      ये छिन्दवाडा के गोड समुदाय के लोगों द्वारा आदिवासी दिवस 

़ ये सिवनी जिला के गोंड समुदाय के लोग आदिवासी दिवस मनाते हुये 

   आपनी परम्परा के अनुसार वेशभूषा धारण किया युवक आदिवासी
समुदाय छिन्दवाडा 


भील समुदाय  आपनी परम्परागत वेशभूषा में आदिवासी युवक युवती इन्दौर मे टट्या चौहरा पर उत्सवपूर्वक आदिवासियों का पर्व विश्व आदिवासी दिवस ।
 9 अगस्त विश्व आदिवासी दिवस मनाते 9 अगस्त विश्व आदिवासी दिवस मनाते छत्तीसगढ़  9 अगस्त विश्व आदिवासी दिवस मनाते झाबुआ में 9 अगस्त विश्व आदिवासी दिवस मनाते इन्दौर भील आदिवासी समुदाय  9 9 अगस्त विश्व आदिवासी दिवस मनाते इन्दौर मे  गोड समुदाय  की महिलाये  9 अगस्त विश्व आदिवासी दिवस मनाते नरसिहपुर में 9 अगस्त विश्व आदिवासी दिवस मनाते छत्तीसगढ़ में 9 अगस्त विश्व आदिवासी दिवस मनाते अलीराजपुर  9 अगस्त विश्व आदिवासी दिवस मनाते इटासी  9 अगस्त विश्व आदिवासी दिवस मनाते शहडोल नागपुर महाराष्ट्र 9 अगस्त विश्व आदिवासी दिवस मनाते 

 जबलपुर में विश्व आदिवासी दिवस

        सागर मे आदिवासी दिवस मनाते हुये 9अगस्त
    सागर के देवरी तहसील  में  9 अगस्त विश्व आदिवासी दिवस 
      छिन्दवाडा 9 अगस्त विश्व आदिवासी दिवस मनाते हुये ।                 गोडसमुदाय के प्रदेश अध्यक्ष   विशन सिह परतेती 

पाताल पानी मऊ 9 अगस्त विश्व आदिवासी दिवस मनाते हुये 
रायसेन म्र.प्र रैली 9 अगस्त विश्व आदिवासी दिवस मनाते हुये 

       नृत्य आदिवासियों के नरसिहपुर 
     आदिवासी मुख्य मन्त्री हेमन्त सरेन 
      तेलगंना में आदिवासियों नृत्य
झारखण्ड  के आदिवासी समुदाय में विश्व आदिवासी दिवस मनाते       वही देश दुनिया में भी आदिवासी महिलाओं की उन्नति कावले           तारिफ  है 


हमने आपको बताया है इन तस्वीरों के जरिए की आदिवासी समुदाय ने 9 अगस्त को किस प्रकार से हर्ष उल्लास के साथ मनाया देश-दुनिया में आदिवासी लोग बहुत पुराने समय से रह रहे हैं ऐसा नहीं है कि ने विकास नहीं किया विकास भी किया है लेकिन यह अपनी परंपरागत वेशभूषा परंपरागत रहन-सहन खान-पान को नहीं भूले यानी इन्होंने आज भी अपने पुरखों को आज भी अपने पुरखों जो प्रकृति में चले जाते हैं यानी कि खत्म हो जाते हैं वह इनके साथ हैं पेड़ पौधे नदियां पर्वत बनकर इनके पास है इसलिए यह उनको पूजा करतें हैं और उन्हीं के हिसाब से जैसे वह चले आ रहे थे उन्हीं के साथ से चलते हैं और प्रकृति को बचाने का पुरजोर प्रयास करते हैं कि कहीं हानियां ना हो जाए हमसे कोई ऐसी घटना ना हो जाए जिससे हमारे पुरखे नाराज हो जाएं इसी मान्यता को कुछ लोग रूढ़ीवादी परंपराओं या जादू टोना टोटका कहते हैं लेकिन आदिवासी केवल और केवल अपने पुरखों को पूजा करते  आ रहे हैं प्रकृति के बाशिंदे हैं इस दुनिया में आदिवासी पर बड़े उत्साह के साथ मनाया गया और आगे भी मनाते रहे हमें इनसे सीखना होगा यही भारत में  अनेकता में एकता है भारत में हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई हिंदू सभी  प्रकार के धर्म है और आदिवासी धर्म ही एक अलग मांग कर रहा है लेकिन आखिर यह आधुनिकता के दौर में इतने  पीछे क्यों हैं सोचना होगा देश में आज देश में वर्तमान स्थिति ऐसी है कि देश का मुखिया प्रथम नागरिक आदिवासी समुदाय से है फिर भी इनके साथ अजीब सी विडंबना है विकास की कई योजनाएं हैं लेकिन विकास नहीं यह समझना होगा क्या कोई रोका है। सब है लेकिन इनका विकास नही जंगलो से  भगाया जा रहा है पता नही क्यों  शायद आप  को पता हो। खैर सवाल है और बहुत कुछ खोलते है  देखना होगा आने वाले समय में आदिवासी के सरकार से अपना विकास करते हैं या फिर आगे सब समझदार है आप सब। 

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