गुरुवार, 4 अगस्त 2022

क्यों बनाया जाता हैं विश्व आदिवासी दिवस 9 अगस्त को ?

संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा घोषित है

     International Day of the world indigenous peoples
 इस वर्ष की थीम है
 पारंपरिक ज्ञान के संरक्षण और प्रसारण में स्वदेशी मुलनिवासी आदिवासी  महिलाओं की भूमिका


विश्व आदिवासी दिवस प्रत्येक वर्ष 9 अगस्त को मनाया जाता है 
अंतर्राष्ट्रीय कार्यदल का गठन 9 अगस्त 1982 में हुआ था पहली बैठक 9 अगस्त को हुई थी यही कारण है कि 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाया जाता है अंतर्राष्ट्रीय कार्यदल का गठन इसलिए हुआ था कि पूरी दुनिया में आदिवासियों द्वारा प्राकृतिक सरक्षंण करने वाले आदिवासियों को उनके रक्षण के लिए दुनिया भर में कोई उपाय नहीं था इसलिए उनको बचाने और उनकी सुरक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विश्व आदिवासी पटल पर उनके संस्था आस्तिव में आई  आदिवासी के रूप में यह दिन निश्चित किया गया 9 अगस्त को पहले कोलम्बस दिवस भी कहते थे क्यों बढे उपनिवेशवाद को खत्म करने के लिए।
विश्व आदिवासी दिवस आबादी के अधिकारों को बढ़ावा देने और उनकी सुरक्षा के लिए प्रत्येक वर्ष 9 अगस्त को विश्व के आदिवासी लोग का अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है यह घटना उन उपलब्धियों और योगदानों को भी स्वीकार करती है जो मूल निवासी लोग पर्यावरण संरक्षण जैसे विश्व के मुद्दे को बेहतर बताने के लिए करते हैं

विश्व में आदिवासी
विश्व में आदिवासी समुदाय की जनसंख्या लगभग 37 करोड है जिसमें लगभग 5000 अलग-अलग आदिवासी समुदाय और इनकी लगभग 7000 भाषाएं आदिवासी समाज के उत्थान और उनकी संस्कृति व सम्मान को बचाने के लिए हर साल 9 अगस्त को अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस के तौर पर मनाया जाता है भारत समेत विश्व के कई देशों में आदिवासी जाति के लोग रहते हैं उनका रहन-सहन खान-पान और रीति-रिवाज और पहनावा आदि बाकी अन्य लोगों से अलग होता है समाज की मुख्यधारा से कटे होने की वजह से दुनिया भर के आदिवासी लोग आज भी पिछड़े हुए हैं हालांकि समाज की मुख्यधारा में जुड़ने और आगे बढ़ाने के लिए देश दुनिया में तमाम तरह के सरकारी कार्यक्रम और सरकारी कार्य चलाए जा रहे हैं 

भारत में देश की आजादी में भी आदिवासियों का बड़ा महत्व है आजादी  की लड़ाई के समय बिरसा मुंडा झारखंड छोटानागपुर क्षेत्र में बड़ी भूमिका निभाई थी मध्यप्रदेश में भी आदिवासियों ने विशेष भूमिका निभाई थी रघुनाथ शाह शंकर शाह तोप के मुंह में बांधकर उड़ा दिया गया था हर क्षेत्र में आदिवासियों ने अपना अंग्रेजों के  प्राणों की आहुति दी हैं। नागपुर का विद्रोह छोटा संथाल विद्रोह गारो खासी की लड़ाई भील प्रदेश का आंदोलन आंध्र प्रदेश के गोंड झारखंड के आदिवासी समुदाय संथाल समूह का विद्रोह तमाम प्रकार की लड़ाइयां लड़ी है देश की आजादी में आदिवासी समुदाय ने 1603 से स्वतन्त्र तक 

मई 1995 - 2004 को पहला अंतरराष्ट्रीय दर्शको घोषित गया था यूएनओ ने वर्ष 2004 में 2015 को दूसरे अंतरराष्ट्रीय दर्शक की घोषणा संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 23 दिसंबर 1994 को संकल्पित 49/ 214 द्वारा प्रतिवर्ष 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाया जाएगाज़्यादा जानकारी को पढों

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