गुरुवार, 3 मार्च 2022

शिक्षकों को नई शिक्षा नीति 2020 के तहत संपूर्ण रूप से योग और प्रशिक्षित बनाया जाए। बुनियादी शिक्षा पर ध्यान देना है। शिक्षा -शिक्षक नीति में बदलाव करके हम नई शिक्षा नीति बदल सकते हैं

 दिनांक 3 मार्च सन 2022 दिन गुरुवार समय सुबह 

 11:00 बजे से शाम 6:10 तक नई शिक्षा नीति पर एक खुली मंच संगोष्ठी आयोजित की गई। सागर विश्वविद्यालय इसका सहयोगी रहा वहीं दिल्ली से इसका आयोजक और प्रमुख एनसीटीई रहा(राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद)  रहा 
 सागर  डॉक्टर हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय के कुलपति  डॉक्टर नीलिमा गुप्ता, अध्यक्षता करते हुए सागर विश्वविद्यालय की लर्निंग टीचिंग फांर सोशल साइंस के संतोष शर्मा उद्घोषक ,के रूप में मंच संभाला और उनके सहयोगी टीम द्वारा वही सागर विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार माननीय श्री संतोष सहोरा,सागर विश्वविद्यालय के अन्य विभागों के प्रोफेसर पत्रकारिता विभाग से डॉ विवेक जायसवाल, सागर विश्वविद्यालय में अध्ययन कर रहे ग्रेजुएट ,पोस्ट ग्रेजुएट, पीएचडी स्कॉलर, डाइट के अध्यापक ने सागर जिले और सागर संभाग के प्राइवेट व सरकारी स्कूलों को के शिक्षक व शिक्षिकाओं ने सागर शहर की और गणमान्य व्यक्तियों ने इस खुली मंच संगोष्ठी ,में हिस्सा लिया प्रत्यक्ष रूप से

वही ऑनलाइन माध्यम से (दूरभाषीपटल )द्वारा जुड़ने वाले हमारे वक्ताओं ने भी इस कार्यक्रम में अपनी सफलता पूर्वक योगदान दिया ,जिसमें राष्ट्रीय स्तर पर प्रोफेसर डॉक्टर अश्विनी कुमार वर्मा ,मौलाना आजाद जोधपुर विश्वविद्यालय
प्रोफेसर डॉ नवनीत कुमार हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, से वही प्रोफेसर डॉक्टर केआर नागराजू अमरकंटक अनुसूचित जनजाति विश्वविद्यालय से,
प्रोफेसर डॉक्टर सरिका शर्मा हरियाणा से,
एनसीटीई के अध्यक्ष और उनकी सहयोगी टीम ने  30 से ज्यादा वक्ताओं ने हमारे साथ कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए इस कार्यक्रम में अप्रत्यक्ष रूप से हिस्सा लिया ,इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य से शिक्षकों को नई शिक्षा नीति 2020 के तहत संपूर्ण रूप से योग और प्रशिक्षित बनाया जाए इस पर मुख्य रूप से खुले मंच द्वारा सुझाव और वक्ताओं के अपने स्तर के उनके अनुभवों को बताया  गया।

ऐसा नहीं है कि देश में से पहले शिक्षा के सुधारों में इस प्रकार के कार्यक्रम नहीं किए गए।  लेकिन यह कार्यक्रम अपने आप में एक अलग ही रूप से प्रकट किया गया। जिसमें 1 शिक्षक और शिक्षा के सारे आयामों को किस प्रकार से नई शिक्षा नीति में प्रयोग करके हम अपने देश को एक समृद्ध शिक्षा नीति का जो प्रारूप हमारा बनाया गया है। उसे कैसे उतारे और कैसे सुधार करके हमें अपने देश के राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत जोड़ पाते हैं।

नई शिक्षा नीति में सभी वक्ताओं ने अपने अपने सुझाव सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव और पक्षियों को देखते हुए रखें

हम सभी जानते हैं कि शिक्षा के तीन सोपान कला मंच और मैदान।
बस इसी प्रारूप को संक्षिप्त और सारिकव रूप से समझाने की कोशिश इस संपूर्ण आयोजक में आयोजन कार्यक्रम में की गई जिसमें बताया गया कि एक शिक्षक अपने आप में किस प्रकार से राष्ट्र हित के लिए अच्छे से अच्छा विद्यार्थी तैयार करता है।
वही इस पर हमारे समाज में शिक्षकों की क्या महत्व पर शिक्षक ही एक होनहार प्रतिभावान छात्रों को उसके अंदर की संपूर्ण कलाओं को निखारने के लिए प्रोत्साहित करता है।   
जिस सेवा या कार में अपने संपूर्ण जीवन में चाहे वह कोई भी किसी भी प्रकार का काम हो मंचो मजबूत और सकारात्मक ऊर्जा के साथ अपना हर काम करते हैं
नई शिक्षा नीति में मुख्य रूप से शिक्षा के अंदर जो एक प्रारूप बना है कि हिंदी भाषी के विद्यार्थी या ग्रामीण के शासकीय स्कूलों के विद्यार्थियों की 5 वर्ष की आयु तक आंगनबाड़ी में शिक्षा ग्रहण करते हैं। वही शहरों में अंग्रेजी मीडियम ,के विद्यार्थी किस प्रकार से 3 वर्ष की आयु में, ही नर्सरी ,यूकेजी ,एलकेजी ,में प्रवेश ले लेते हैं। और लगभग हिंदी मीडियम के शासकीय विद्यार्थियों से 3 वर्ष की ज्यादा मेहनत करके कक्षा पहली में प्रवेश लेते हैं वहीं सीधे आंगनबाड़ी से निकलकर 5 वर्ष की आयु में बच्चे को कक्षा पहली में प्रवेश दे दिया जाता है। यह एक देखा जाए तो बहुत ही छोटा अंतर है लेकिन यह समझने वाले हमारे विद्वानों ने जो कि इस प्रारूप में प्रथम रूप से बताया है यह बहुत अच्छा निचोड़ निकाला है क्योंकि जब तक आप का आधारभूत स्तंभ ही मजबूत नहीं होगा। तो उच्च शिक्षा के लिए आप किस प्रकार से बढ़ सकते हैं शिक्षा नीति में सबसे अहम प्रारूप है क्योंकि हमारी शिक्षा प्रारंभिक शिक्षा ही जीवन का सबसे अहम आधार होता है जहां से व्यक्ति एक अच्छी शिक्षा प्राप्त कर के उज्जवल भविष्य की ओर बढ़ता है।  क्योंकि अगर आप का आधारभूत स्तर में मजबूत नहीं होता उच्च शिक्षा के लिए आप कैसे बढ़ पाएंगे। प्राथमिक शिक्षा और शिक्षा के बीच का जो एक बहुत बड़ा अंतर है प्राथमिक शिक्षकों को माध्यमिक शिक्षकों से माध्यमिक शिक्षकों को उच्च शिक्षा से उच्च शिक्षा को उच्चतर शिक्षा से और विश्वविद्यालयों से कैसे जुड़ा जाए एक कड़ी बनाई जाए इस शिक्षा नीति के प्रारूप में जो कि 50 पेजों में तैयार किया गया।   है इसमें अहम रूप से बताया गया है या बहुत ही सराहनीय कार्य है नई शिक्षा नीति के सभी प्रबंधक कमेटियों का

जैसा कि हमें ज्ञात है 1986 में शिक्षा नीति में बदलाव किया गया है।   और 2020 में जो हमारी नई शिक्षा नीति आई है जिसने यह बदलाव किया गया है कि यदि कोई छात्र किस प्रकार से अब वह बहूयामी अर्थात एक चयनित विषय के साथ अपना रुचि पूर्ण विषय भी चयन कर सकता है।  जैसे कि अगर कोई विद्यार्थी गणित विषय लेता है उच्च शिक्षा के लिए और वह उसका रुचि पूर्ण विषय संगीत है तो वह इस शिक्षा नीति में सुधार किया गया है कि वह अपने पसंद का विषय यानी कि गणित के गणित के साथ काला का विषय भी ले सकता है।  और अपना अध्ययन कर सकता है जो कि  'एक बहुत बड़ा बदलाव किया गया' है अर्थात गणित के साथ व कला विषय विषय जैसे कि गायन  आदि का चयन करके भी अपने उज्जवल भविष्य के लिए और अपने पसंदीदा विषय चुनकर अपने उच्च शिक्षा कर सकता है लेकिन यह गणित नहीं।   सभी प्रकार के विषयों में जिसमें आपकी रुचि है आप अपना पसंदीदा विषय और अपना अहम विषय के साथ आधारभूत विषयों के साथ भी दूसरे विषय ले सकते हैं यह भी इसमें प्रारूप जो दिया गया है बहुत अच्छा सुधार किया गया है नई शिक्षा नीति के तहत शिक्षा नीति के और भी अहम कोठारी सुधार शिक्षा नीति पर भी परिचर्चा करके सुधार किए गए है इसी आयोजन मैं 

हमारे प्रमुख वक्ताओं ने भी हमें शिक्षा नीति के प्रारूप को समझाने की कोशिश की जिसमें हमारे वक्ताओं में प्रमुख रूप से 

प्रोफेसर डॉ रश्मि जैन उन्होंने बताया कि नई शिक्षा नीति के तहत यह ड्रॉप हिंदी और इंग्लिश दोनों भाषाओं में उपलब्ध है।   इसमें देशभर के सुझाव का निचोड़ समाहित किया गया है नौकरी की सीमा शिक्षा के बाद नौकरी की सीमा सरकारी शैक्षणिक संस्थानों में 1% से 2% नहीं प्राइवेट में 15 से 20% और मुख्य रूप से स्वरोजगार में ही हम कुछ अलग कर सकते हैं इसलिए हमें शिक्षा के लिए अपना 100 प्रतिशत देना होगा तभी हम कुछ अलग कर पाएंगे। 

प्रोफेसर डॉ अजय कुमार चौबे जी    नई शिक्षा नीति में यह बहुत संवेदनशील मुद्दा है।  एनपीएसटी शिक्षकों को कैसे समझाया जाए शिक्षकों की अवधारणा जिम्मेदारी कर्तव्य और शिक्षक महत्वपूर्ण है। इस ढांचा को तैयार करने के लिए एक निष्ठावान शिक्षक विषय के और इस समाज में एजेंट के रूप में काम करता है शिक्षक को अपने हिस्से की स्वतंत्रता नहीं है वह भी मिलनी चाहिए और काम के प्रति तभी वही निष्ठावान होगा

प्रोफेसर डॉक्टर राकेश सिंह   भाषा एक क्रियाशील चीज है उन्होंने बताया कि बहुभाषिकता को भी इन्होंने बहुत अच्छे से विस्तारपूर्वक समझाया कि कैसे एक मतलब की एक मातृभाषा  का ज्ञान भी शिक्षकों के पास होना चाहिए उस क्षेत्र से संबंधित आधारभूत शिक्षा के लिए मुख्य रूप से प्रारंभिक शिक्षा हेतु तभी हम इस एनसीटीई के कार्यक्रम को सुचारु रुप से कर पाएंगे जैसे कि किसी संथाली भाषा और हिंदी भाषा के शिक्षक को दोनों भाषाएं आनी चाहिए। भाषाओं का जुड़ाव  होना चाहिए संताली भाषा के शिक्षक को हिंदी और हिंदी भाषा के शिक्षक को संताली उर्दू गुजराती पंजाबी आदि भाषाओं का ज्ञान होगा।   तभी हम भाषाओं को समझ पाएंगे और भाषाओं के मातृ भाषाओं के ज्ञान को महत्व दे पाएंगे।

डॉक्टर अश्वनी वर्मा जी मौलाना आजाद जोधपुर
उन्होंने बताया कि हमारे विश्वविद्यालय किस प्रकार से मातृभाषा उर्दू प्राथमिक शिक्षा से लेकर पीएचडी की शिक्षा भी दे रहा है।    अर्थात उर्दू में प्रदान कराता है उन्होंने आजादी के पहले की नीति आजादी के बाद की शिक्षा नीति और इस नई शिक्षा नीति में बहुत अच्छे तरीके से समझाया और बताया उन्होंने कुछ आंकड़े भी दिए जिसमें देश में 5 करोड बच्चे ऐसे हैं जो कि लिखने पढ़ने में भी बहुत कमजोर हैं एनपीए ने ईमानदारी से माना है कि।
विद्यार्थियों को नैतिक शिक्षा का अभियान अवश्य ही होना चाहिए।

समाज शिक्षक को विशेषता देती है आदर सम्मान देती है
शिक्षक  की ट्रेनिंग का मुद्दा है।   अध्यापक की सुविधाओं का मुद्दा है 1986 की नीति शिक्षा नीति न्यूनतम स्तर तय करना चाहिए समान शिक्षा प्रणाली की नीति है शिक्षकों का काम निश्चित हो काम अच्छा होगा अच्छा काम करने पर शिक्षकों को प्रोत्साहित किया जाए आप इसका पुरस्कार दिया जाए मनोवैज्ञानिक तौर पर शिक्षकों को मजबूत किया जाए ताकि नीति से जोड़ा जाए उन्होंने बताया कि किस प्रकार से दक्षिण के महानगरों में आईआईटी, और आई आई एम, कोचिंग परीक्षाओं के विद्यार्थियों को दसवीं के बाद ही स्कूल नहीं होते सीधे कोचिंग संस्थानों में प्रवेश ले अपना मुकाम हासिल करते हैं इस प्रकार की शिक्षा में बदलाव किया जाता है 12वीं की कक्षा यानि कोचिंग संस्थानों से करवा दी जाती है

प्रोफेसर डॉक्टर मनीष वर्मा  बुनियादी शिक्षा पर ध्यान देना है शिक्षा शिक्षक नीति में बदलाव करके हम नई शिक्षा नीति बदल सकते हैं इन्होंने एक अहम रूप से शिक्षक बनने के प्रशिक्षित प्रशिक्षण ओं को बताएं कि किस प्रकार से D.Ed, B.Ed, में बदलाव किए जाएं और जो प्राइवेट और सरकारी संस्थाओं द्वारा डीएड और बीएड की ट्रेनिंग दी जा रही है इसमें किस प्रकार से बदलाव किया जाए पुरानी दिया B.Ed की जो ट्रेनिंग प्रशिक्षण दिया जाता था वह बहुत सख्त होता था, आजकल तो सरकारी और प्राइवेट संस्थानों ने डीएड और बीएड यानी कि शिक्षकों की शिक्षा पूर्ण प्रशिक्षण को ही बदल दिया है उससे संयुक्त रूप से सशक्त रूप से पालन करना होगा तभी हम अच्छे आदर्शवाद और ज्ञानबाग शिक्षकों को ही समाज को दे पाएंगे शिक्षक कौशल की आवश्यकता पड़ती है शिक्षक स्वयं को वैश्वीकरण के युग में विकास और प्रतिस्पर्धा का यह योग वैश्वीकरण नाम दिया गया है कि हमारी अचार परंपरा गुरुकुल परंपरा हमारी आदि अनादि परंपराओं को बदल चुकी है हम सामाजिक चुनौतियों में अब अपने आप को बदलना है तभी हम वर्तमान में आदर्श शिक्षक दे पाएंगे जो शिक्षक दायित्व अपना सकें चिंतनशील हो विवेकपूर्ण हो धैर्यवान हो उन्हीं को ही शिक्षक के रूप में कार्य करना चाहिए

एनसीटीई के अध्यक्ष
सागर विश्वविद्यालय और सागर विश्वविद्यालय की कुलपति आयोजक टीम और रजिस्ट्रर संजय सर जी सभी की प्रशंसा करते हुए उन्हें उन्होंने बताया कि एनसीपी की नई एप्लीकेशन गुणवत्ता को और बढ़ा रही है भारतीय शिक्षा नीति की जिम्मेदारी दी गई है यह गुणवत्ता अतिरिक्त 2021 में 700 केंद्र खुल चुकी है और 2000 से 3000 सुझाव के बाद
करीब 200 शिक्षकों ने हमारे खुद की संस्था के जनता के बीच में जाकर पहला ड्राफ्ट तैयार किया है

हमने स्पेशल 15 लोगों की कमेटी बनाई है जिसमें 10 विश्वविद्यालयों का दौरा किया गया है एन. ए. पी.  को लागू कराने के लिए 1 साल यानी कि मार्च 2021 से 31 मार्च 2022 तक इसे पूर्ण किया जाएगा 
 
सर्वप्रथम इसमें 5000 शिक्षकों को प्रशिक्षण के लिए बुलाया जाएगा रूपरेखा तैयार करके उन शिक्षकों को दिसंबर तक ट्रेनिंग दी जाएगी 2022 में और उसके बाद इस प्रारूप या प्रैक्टिकल को किस प्रकार से कैसा क्या रहा इसका रिजल्ट देखा जाएगा इन्हीं शिक्षकों के द्वारा

इस प्रोजेक्ट में सागर विश्वविद्यालय का यह में योगदान रहा एनसीपी के अध्यक्ष ने बताया कि लगातार विश्वविद्यालय हमारा सहयोग करता आ रहा है कोरोनावायरस समय में भी विश्वविद्यालय ने हमारा बहुत अच्छे से समस्त प्रारूपों को ध्यान में रखते हुए अपनी ओर से कार्यक्रम आयोजन किए गए जंतुओं से सवाल-जवाब सुझाव की प्रतिक्रियाएं भी हमारे लिए समर्पित की गई

यह त्रि स्तरीय कार्यक्रम में स्मृति चिन्हों को भी विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों को प्रदान किए गए
जिसमें संतोष सहोरा,  आशुतोष गोस्वामी ,प्राची जैन ,आलोक सर जी, रितु यादव, जी प्रवीण गौतम जी ,और विवेक जायसवाल जी ,को यह स्मृति चिन्ह प्रदान किए गए,

 समापन वेला में रजिस्टार संतोष  सहोरा ने अपना 
कार्यक्रम को समाप्त करते हुए डॉक्टर संतोष सहोरा जी ने प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हमारे समस्त वक्ताओं पीएचडी स्कॉलर ग्रेजुएट पोस्ट ग्रेजुएट विद्यार्थी शिक्षक गणों समस्त जोकि इस में सम्मिलित हुए भाग लिए सभी का आभार व्यक्त किया इस संपूर्ण प्रोग्राम में जो कि सुबह 11:00 बजे से 6:00 बजे तक था त्रिस्तरीय कार्यक्रम में दोपहर भोजन की व्यवस्था भी विश्वविद्यालय की ओर से की गई थी

निष्कर्ष    
इस समारोह में सम्मिलित होकर हमने यह सीखा है कि किस प्रकार से शिक्षा को बहुआयामी बनाया जा रहा है शिक्षा को वास्तविक रूप में मानव के संपूर्ण विकास के लिए तैयार किया जा रहा है कैसे कोई यदि पारिवारिक परेशानियां या अन्य किसी परेशानियों से शिक्षा को छोड़ देता है और यदि वह चाहे1 साल 2 साल अधिकतम 5 साल बाद यदि वह  प्रथम वर्ष की परीक्षा दे चुका था तो द्वितीय वर्ष में सीधे तौर पर प्रवेश ले सकता है शिक्षा और शिक्षा के सुधार वाले इन विद्वानों ने इसमें बहुत आहम रूप से अपना ध्यान दिया है और शिक्षा को बहुत ही अलग प्रकार से शिक्षित होने के लिए प्रकट किया गया है वैसे भी हम सभी जानते हैं शिक्षा समाज की मनुष्य के अंदर विद्यमान आलोक एक ऊर्जावान और एक अच्छे जीवन जीने की सीख देती है
 बहुत जल्द ही इस प्रारूप को हमारे समाज में उतार दिया जाएगा करीब दिसंबर से इस नई शिक्षा नीति के तहत अध्यापकों को तैयार करके समाज में सीखने के लिए हमारे बच्चों को जो एक नई ऊर्जा के साथ नई शिक्षा नीति 2020आई है हम उसका दिल खोलकर स्वागत करते हैं

धन्यवाद मेरे दोस्तों।